
वस्तु पुरुष क्या है?
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वस्तु पुरुष के बारे में ऐसा कहा जाता है के प्राचीन काल में एक जीव उत्पन्न हुआ था जिसका आकर बहुत तेजी से बढ़ रहा था वह इतना बढ़ गया के पूरा ब्रह्माण्ड उसके मानव शरीर से ढकने लगा, इस वजह से देवतायों ने इसे रोकने का फैसला किया और फिर देवताओं ने इस जीव के चारों दिशाओं से घेरा बनाया घेर लिया और फिर उस जीव को उल्टा करके जमीन में कैद कर दिया, उस दानव रूपी शरीर वाले विशाल जीव को ‘वास्तु पुरुष’ नाम से जाना जाने लगा।
वास्तु पुरुष का मुँह ईशान कोण (North East), दोनों पैरो के घुटनों को मोड़कर दोनों तलवों को जोड़कर नेऋत्य कोण (South West), हाथों की कोहनियाँ आग्नेय कोण (South East) और वायव्य कोण (North-West) का निर्माण हुआ। उस बीच उन देवी देवताओं ने जो स्थान ग्रहण किया वास्तु शास्त्र में उन स्थान को उस देवी देवता के अधीन माना जाने लगा। ब्रह्म देव के दिए वरदान के हिसाब से वास्तु पुरुष को ध्यान में रखकर बनाए गए किसी घर या किसी भवन को सुख, शांति, वैभव, लाभ, धन, दौलत की प्राप्ति होती हैं।