पूर्वी दिशा और उत्तरी दिशा के मेल को ही ‘ईशान दिशा’ कहते हैं। वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर में इस जगह को ईशान कोण कहा जाता है। बृहस्पति और केतु को उत्तर-पूर्व दिशा केेआ स्वामी कहा जाता है।
यह दिशा दैवीय शक्तियों के लिए सर्वोत्तम है। इस दिशा का प्रतिनिधित्व खुद दैवीय शक्तियां करती हैं। भगवान शिव को इस दिशा का स्वामी माना जाता है। इस वजह से यह दिशा सभी दिशाओं से शुभ मानी जाती है। इस दिशा में कभी भी शौचालय नहीं बनाना चाहिए बल्कि इस दिशा में मंदिर होना बहुत शुभ माना जााता है। इस दिशा को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए इस स्थान पर मंदिर के साथ साथ के साथ पानी भी रखे जा सकता हैं। किसी भी अविवाहित स्त्री को इस कोने में नहीं सोना चाहिए। अगर इस कोने में कोई अविवाहित स्त्री सोती है, तो उसकी शादी में देर हो सकता है या उसे सेहत से संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। वस्तु के हिसाब से घर के इस कोने में बाथरूम और टॉयलेट नहीं होना चाहिए। ओर साथ ही, यहां कोई भारी चीज़ भी नहीं रखनी चाहिए।