Broken Heart Sad Poetry in Urdu
हमारी दास्तां उसे कहां कबूल थी,
मेरी वफाएं उसके लिए फिजूल थी
कोई आस नहीं लेकिन इतना बता दो
मैंने चाहा उसे क्या यह मेरी भूल थी।
परख से परे है यह शख्सियत मेरी
मैं उन्हीं के लिए हूं जो समझे हर कदम पर खुशी मेरी।
तोड़ेंगे गुरुर इश्क का और इस कदर सुधर जाएंगे,
खड़ी रहेगी मोहब्बत रास्ते पर हम सामने से गुजर जाएंगे।
थोड़ा कुछ इस अदा से ताल्लुक उसने अपना मानो,
मेरी चाहत में हमेशा उसके लिए कमी थी।
मैं दिल में किसी के राह किये जा रहा हूं,
मैं कितना हंसी गुनाह किये जा रहा हूं।
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा
दुख प्यार के सिवा जिंदगी भी देता है
मोहब्बत एक अजीब सी, गजब सी, बेहिसाब सि
उलझन है , एक बार फंस गए या तो जन्नत या फिर जहन्नुम।
लोग कहते हैं समझ सको तो खामोशियां बोलती हैं,
मैं अरसे से खामोश हूं वह बरसों से।
थोड़ा जिंदगी में सुकून भी ढूंढिए जनाब
यह जरूरत है तो कभी खत्म नहीं होंगी।
बिखेर बैठा हूं कमरे में सब कुछ सामान
कहीं ख्वाब रखा था वह भी घूम गया।
कितना मुश्किल है उस इंसान को मनाना जो रूठा भी ना हो,
और बात भी ना करें।
रोना हो आसान हमारा
इतना कर नुकसान हमारा,
बात नहीं करनी तो मत कर
चेहरा तो पहचान हमारा।
लगता है आज जिंदगी खफा है हमसे
चलो छोड़िए कौन सी पहली दफा है।
हम ना रहे तो कौन बसआएगा तेरा वीराना
मोड़ के हम ना देखेंगे और तू भी याद ना आना।
उस उम्र में हमने तुमको चाहा
जिस उम्र में हम जिस्म से वाकिफ ना थे।
बहुत कुछ बदला है मैंने अपने आप में
लेकिन तुम्हें टूट कर चाहने की आदत नहीं छूटी।
वह बात सारे फसाने में जिसका जिक्र न था
वह बात उनको ना गवार गम गुजरि हैं।
वक्त बहाकर ले जाता है नाम ओ निशान लेकिन
कोई हम में रह जाता है और किसी में हम।
यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।
इंतजार की तलब ही इतनी होती है किस श्याम भी बहुत देर होती है बात वैसे भी होती नहीं लेकिन बात तमाम भी नहीं होती।
रिश्ते अगर दिल में हो तो टूटने से भी नहीं टूटते
और अगर दिमाग में हो तो जुड़ने से भी नहीं जूडते।
ना जाने क्यों हर गलती की वजह हूं मैं,
कभी-कभी लगता है मैं इस दुनिया मैं बेवजह हूं मैं।
फुर्सत किसे है जख्मों को सिरहाने की,
निगाहें बदल जाती है अपने बेगानों की
तुम भी छोड़ कर चले गए हमें
अब तमन्ना नहीं रही किसी से दिल लगाने की।
मेरे मन में थोड़ी सी भी जगह नहीं नफरत के लिए,
प्यार को इतना अपना बना लिया है कि नफरत से भी प्यार हो चुका है।
ना जाने मैं बुरा हूं या मेरा नसीब
हमेशा जब भी मैं किसी को अपना मानता हूं या अपने से लगाओ लगाता हूं तो धोखा हमेशा मुझे उसी से मिलता है।
दोस्ती किसी से ना थी ना किसी से था प्यार
जब बुरे वक्त पर देखा तब ना था कोई यार साथ।