Kya wo pyar tha Poetry
क्या वो था जब कॉलिज के पहले दिन मैने पहली बार उसे देखा तो ऐसा लगा था के पूरी जिंदगी कही रुक सी गई हो,
मै मेरे चार दोस्तों के साथ आखरी बेंच पर कोने वाली सीट पे बैठा था, जहाँ से मुझे पूरी class का view मिले, उस view के center में तुम रहो और मेरा focus सिर्फ तुमपे बना रहे,
ma’am जोर जोर से चिल्ला के कुछ पढ़ने की कोशिश कर रही थी, मगर तुम्हारे दिल की धड़कनो से उनकी आवाज मेरे लिए कहीं गुम सी हो गई थी,
क्या वो प्यार था?
मुझे नहीं आता प्यार का इजहार करना, मुझे नहीं आता प्यार का इजहार करना काश तुम आँखों की भाषा समझ लेती!
मैं कुछ कहना चाहता था लेकिन कह नहीं पाया, दिल में जो बात थी वो जुबान पे आती थी लेकिन, लफ्जो में तप्दील होने से पहले ही कहीं खो सी जाती थी,
क्या वो प्यार था?
आँखों से आँखे मिल गई बातो से बाते मिल गई, बातो के मुलाकाते बढ़गई और वो मुलाकाते धीरे धीरे दोस्ती में तफ्दील हो गई तब तुमने मेरा हाथ पकड़के मुझसे एक बात कही थी, के शुभम लड़की का हाथ हमेशा इस तरह से हाथमे पकड़ते हैं, और मैं पगला मन ही मन मुस्कुराके कह गया के “मैं तुम्हारा ये हाथ जिंदगी भर पकड़ के रहना चाहता हु”,
क्या वो प्यार था?
उस दिन से पढ़ाई के लिए कॉलेज जाना फिजूल सा लगता था और जिस दिन तुम नहीं आती थी तो पूरा कॉलेज ही बंजररान सा लगता था,
तबसे तुम मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई, हम साथ में ही मुस्कुराते थे बस फर्क इतना होता था के तुम ख़ुशी से मुस्कुराती थी और मैं तुम्हे देख के मुस्कुराता था, क्या वो प्यार था इन आँखों को तेरी आदत सी हो गई थी इन होठो को तुम्हारी इबादत सी हो गई थी,
एक line में तुम्हारी तारीफ क्या करु,
पानी तुम्हे देखे तो प्यासा बन जाये और आग तुम्हे देखे तो उसे खुद से जलन हो जाये,
क्या वो प्यार था?
तुम्हारे फ़ोन पे रिचार्ज मैं करता था और घंटो तक तुम किसी और से बाते करती थी,
तुम प्यार से किसी और का हाथ पकड़ती थी और यहां गुदगुदी मेरे हाथ में होती थी, तुम किसी और को गले लगती थी और यहाँ धड़कने मेरी तेज हो जाती थी, class ma’am तुम्हे डाटती थी पर गुस्सा मुझे आजाता था,
तुम किसी और के कंधे पर सर रख के रोती थी और तकलीफ मेरे दिल को होती थी, क्या वो प्यार था?, नजाने वो क्या था, प्यार था या कुछ और था, लेकिन ो तुमसे था वो किसी और से नहीं था,
दोस्तों उसने मुझसे कहा था के उसे प्यार की दीवारों से नफरत है……
और कुछ महीनो बाद वो किसी और के साथ अपनी मोहब्बत का महल सजा रही थी……
मुझे लगता था के जिंदगी का एक उसूल हैं…. प्यार के बदले प्यार मिलता है मगर जब हमारी बरी आई तो जिंदगी ने अपने उसूल बदल दिए तो आजसे हम भी बदलेंगे हमारा अंदाजे जिंदगी भी, राब्ता सबसे होगा लेकिन वास्ता किसी से नहीं,
इस तरह ये गजल सुना के मैं महफ़िल में खड़ा था और लोग अपने अपने चाहने वालो में खो गए थे, क्योकि एक तरफ़ा ही सही लेकिन वो प्यार था।
Shambhukumat