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आज फिर तेरा ख्याल आया
तनहा हु मैं कितना मुझे ये याद कराया,
तू खुवाबो में जो आती है मेरे आज बेताबीर (without interpretation) उनको मैने सजाया,
तू खुवाबो में जो आती है मेरे आज बेताबीर उनको मैने सजाया…
जुस्त जु थी मेरी तेरी हसीन सूरत देखने की,
जुस्त जु थी मेरी तेरी हसीन सूरत देखने की… मगर फिर मैंने मगर फिर मैंने इस प्यार की महक को दबाया, तनहा हु मैं कितना मुझे ये अहसास कराया,
बेलिहाज तूने मेरे जस्बातो को ठुकराया। … मैं बेबस खड़ा तुझे देखता रहा तुझे ज़रा सा भी रोना नहीं आया?
लगातार तेरी इस बेपरवाही को मैं तेरा ऐतबार समझता रहा,
तेरे हर एक झूठ में थोड़ा सुकून ढूंढ बैठा,
आज फिर तेरा ख्याल आया
तनहा हु मैं कितना मुझे ये याद कराया,
बेखौफ तुझे अपनी जिंदगी बनाता चला…. हर्फ़ दर हर्फ़ अपनी कहानी में सजाता रहा,
इनायत थी तब खुदा की मुझपे के बादस्तूर (Without change) वो मुझे तेरा चेहरा दिखाता चला गया.
आज फिर तेरा ख्याल आया
तनहा हु मैं कितना मुझे ये याद कराया,
आबशार (Waterfall) जैसा तुझपर मैं अश्क बहाता चला, तेरी हर बदतमीजी मैं अपने चेहरे पे मुस्क़ा सजाता चला लव्ज दर लव्ज तेरी हर बदसलूकी मैं अपनाता चला… जिस शिद्दत से तूने मुझसे इश्क किया था… मैं उसे अपनी रूह को समझता चला,
आज फिर तेरा ख्याल आया
तनहा हु मैं कितना मुझे ये याद कराया,
अहसान है तेरा के तू आज नहीं है,
अहसान है तेरा के तू आज नहीं है…
तनहा मुझे छोड़ चली है,
तू आज होती तो मैं भी मोहब्बत में होता, इस अनजान भीड़ का एक हिस्सा होता…
रब का शुक्र है या किसी की दुआओ का असर है,
रब का शुक्र है या किसी की दुआओ का असर है
मैं फिर तेरे साथ होके भी तनहा होता,
आज फिर तेरा ख्याल आया
तनहा हु मैं कितना मुझे ये याद कराया।